कुण्डलिनी शक्ति, चक्र हीलिंग, की सविस्तर चर्चा

state : Gujarat

city : Surat

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Category  Academic

Description   अनुक्रमणिका 1) कुंडलिनी शक्ति क्या है? 2) चक्र क्या है? 3) चक्र कहाँ स्थित हैं? 4) इसे जागृत करने की आवश्यकता क्यों है? 5) क्या होता है जब चक्र सक्रिय हो जाते हैं? 6) चक्रोंको बेलेंस कैसे किया जाता है? 7) चक्रों और हमारे शरीर के भीतर की ग्रंथियाँ इनके बीच क्या संबंध है? 8) इन चक्रों को सक्रिय करने की प्रक्रिया क्या है? 9) रंग क्या हैं? 10) मैंने कोई रंग नहीं देखा? क्या यह मेरे साथ कुछ गलत है? 11) कौन कौन से रंग हमें दिखाई देते हैं? 12) यह बीजाक्षर (या मंत्र) क्या होता है? 13) चक्रों के बारे में विस्तार से विवरण 14) ‘मूलाधार’ चक्र: 15) स्वाधिष्ठान’ चक्र 16) ‘मणीपूर’, चक्र 17) ‘अनाहत’, चक्र 18) ‘विशुद्ध’ चक्र 19) आज्ञा चक्र 20) सहस्त्रार’ चक्र 21) कुण्डलिनी शक्ति को ‘सर्पेनटाईन’ पावर भी कहा जाता है। ऐसा क्यों? 22) कुण्डलिनी जागृत होने पर हमें कौनसी गतियाँ प्राप्त होती है? 23) पिपिलिका गति: 24) भुजंग गति: 25) मंडुक गति : 26) विहंग गति: 27) कुछ रूढ़िवादी लोगों को स्पर्श विधि पर आपत्ति क्यों है? 28) क्या हर एक पारलौकिक रेकी हीलर की कुण्डलिनी शक्ति जागृत होती है? 29) ब्रम्हांड में कुण्डलिनी के उत्पत्ति स्थान: 30) कुण्डलिनी जागरण की आध्यात्मिक विधि- 31) हठ योग द्वारा कुण्डलिनी जागरण 32) भक्ति मार्ग द्वारा कुण्डलिनी जागरण 33) उपवास द्वारा कुण्डलिनी जागरण 34) कुण्डलिनी जागृत करने का समय आ गया है ये कैसे समझे? 35) भ्रम की अवस्था और कुंडलिनी शक्ति 36) कुंडलिनी जागृत हो रही है तब क्या करे क्या ना करे? 37) साधना के दरमियान ये नहीं करे 38) कुंडलिनी, प्राण ऊर्जा, ब्रम्हांडीय ऊर्जा इनका सम्बंध

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